पर्सोना नॉन ग्रेटा: इसका क्या मतलब है और यह दर्जा क्यों दिया जाता है
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 28 लोगों की मौत हो गई, के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाया है और कई बड़े फैसले लिए हैं। इनमें से एक है पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक को “पर्सोना नॉन ग्रेटा” घोषित करना। लेकिन सवाल उठता है कि पर्सोना नॉन ग्रेटा का क्या मतलब है और इसका कूटनीतिक महत्व क्या है? आइए विस्तार से जानते हैं।
“पर्सोना नॉन ग्रेटा” का क्या मतलब है
“पर्सोना नॉन ग्रेटा” एक लैटिन मुहावरा है, जिसका मतलब है – “अवांछित व्यक्ति” या “अप्रिय व्यक्ति”। इसका इस्तेमाल खास तौर पर कूटनीतिक संदर्भों में किया जाता है। जब कोई देश किसी विदेशी राजनयिक को अपने देश में अवांछित घोषित करता है, तो उसे पर्सोना नॉन ग्रेटा का दर्जा दिया जाता है।
यह शब्द लैटिन भाषा से आया है, जो प्राचीन रोम की भाषा रही है। आज भी लैटिन शब्दों का इस्तेमाल कानून, कूटनीतिक संबंधों, धार्मिक ग्रंथों और वैज्ञानिक संधियों में किया जाता है। “पर्सोना नॉन ग्राटा” की अवधारणा 1961 के वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस के तहत स्थापित की गई थी, जो निर्दिष्ट करती है कि कोई भी देश किसी भी विदेशी राजनयिक को पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित कर सकता है।
जब कोई राजनयिक या दूतावास अधिकारी किसी देश में जासूसी, राजनीतिक हस्तक्षेप या राष्ट्रीय हितों के खिलाफ गतिविधियों में शामिल पाया जाता है, तो उसे पर्सोना नॉन ग्राटा घोषित किया जा सकता है। यह एक शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी कूटनीतिक हथियार है जिसके माध्यम से कोई देश बिना किसी सैन्य टकराव के अपनी असहमति व्यक्त करता है।
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-संबंधित व्यक्ति को तुरंत उस देश को छोड़ना होगा।
-उसकी राजनयिक प्रतिरक्षा समाप्त हो जाती है।
-उसे फिर कभी उस देश में सेवा करने की अनुमति नहीं दी जाती है।
-यह प्रक्रिया एक प्रकार का राजनयिक निष्कासन है।
हाल ही में पहलगाम हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के एक उच्च राजनयिक को तलब किया और “पर्सोना नॉन ग्राटा” नोट सौंपा। यह निर्णय भारत की ओर से एक कूटनीतिक विरोध है, जो स्पष्ट रूप से यह संदेश देता है कि भारत पाकिस्तान की भूमिका से असहमत है और उससे नाराज है।
“पर्सना नॉन ग्राटा” केवल एक कूटनीतिक शब्द नहीं है, बल्कि यह एक अंतरराष्ट्रीय संकेत है जो देशों के आपसी संबंधों की स्थिति को दर्शाता है। भारत का यह कदम न केवल उसकी कूटनीतिक दृढ़ता को दर्शाता है बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत आतंकवादी हमलों के खिलाफ किसी भी स्तर पर सख्त और निर्णायक रुख अपनाने के लिए तैयार है।